Friday, December 4, 2009
वह रसोई में पेशाब करेगी
अभी मेरे उस आलेख की स्याही सूखी भी नहीं है जिसमें मैंने लिखा था कि पति-पत्नी में से कोई एक घर में रहे। इधर देश के एक बड़े शहर से यह खबर आई है कि खाना बनाने वाली एक नौकरानी पर रसद सामग्री की चोरी करने का संदेह होने पर एक गृह-स्वामिनी ने अपने रसोईघर में एक गुप्त कैमरा लगाया और आठ दिनों तक उसकी हरकतों की रिकॉर्डिंग की। जब इस कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी गई तो सबकी आंखें शर्म और घृणा से भर गर्इं। यह नौकरानी खाना बनाने के दौरान न केवल चावल, घी, चीनी तथा बना हुआ खाना खाती रहती थी अपितु वह जिस कपड़े से अपनी बहती हुई नाक साफ करती थी और पसीना पौंछती थी, उसी कपड़े में रोटियां लपेट कर टिफन में रखती थी। जिस पानी में वह गंदे हाथ धोती थी, उसी पानी में सब्जियां बनाती थी। इस रिकॉर्डिंग के घृणास्पद और शर्मनाक अंश वे थे जिनमें नौकरानी खाना बनाते हुए, वहीं खड़ी होकर पेशाब भी करती थी। पता नहीं कब से उस घर के लोग उसी किचन में बना हुआ खाना खा रहे थे जिसे उनकी नौकरानी ने पेशाब करने के दौरान बनाया था। आजाद भारत, समृद्ध परिवार और आधुनिक संस्कृति का यह कैसा वीभत्स दृश्य है! हो भी क्यों नहीं, हमें तो स्लमडॉग मिलेनियर को देखकर जय हो! गाने से फुर्सत ही कहाँ है! क्रिकेट के मैच में भारतीय खिलाड़ियों को जीतते हुए देखकर धरती को हिला देने वाले पटाखे फोड़ने से ही भला कहाँ फुर्सत है। राखी सावंत का अधनंगा और बेशर्म नाच देखकर पुलकित होने वाले हम भारतीय प्रतिदिन कम से कम एक घण्टा इस बात पर खर्च करते हैं कि बिग बॉस में राजू श्रीवास्तव औरतों के कपड़े पहन कर क्या भौण्डी हरकतें कर रहा है! मेरा दावा है कि यदि गृह स्वामिनी ने अपने टीवी को देखना छोड़कर अपनी रसोई को देखा होता तो वह नौकरानी किचन में पेशाब कतई नहीं कर सकती थी। क्रिकेट, टी. वी. के कार्यक्रम और नित्य होने वाले विवाह समारोहों में एकत्रित होने वाले हजारों लोगों की बदहवास भीड़ में खोकर हम स्वयं को आधुनिक समाज का हिस्सा समझते हैं, वस्तुत: यह बर्बादी की तरफ धकेले जाते समाज का चेहरा है न कि आधुनिक समाज का। बर्बादी की तरफ धकेला जाता हुआ भारतीय समाज बाजारवाद की हवस का शिकार हुआ है। यह हवस कभी पूरी नहीं होने वाली। जो आज लखपति है उसे करोड़पति और करोड़पति को अरबपति बनने की हवस है। इसलिये धोनी का क्रिकेट चलेगा, राखी सावंत का स्वयंवर चलेगा और अमिताभ बच्चन का बिग बॉस चलेगा। इन्हें चलाने के लिये बाजार विज्ञापन देगा, जिन्हें देखकर आप और हम जरूरत और बिना जरूरत का सामान खरीदेंगे। इस सामान को खरीदने के लिये अनाप-शनाप पैसे चाहियेंगे। पैसों के लिये आदमी और औरत दोनों कमाने के लिये घर से निकलेंगे और पीछे से नौकरानी किचन में पेशाब करेगी। जय हो!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
क्या हालात है!!!हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteYe ek apneapme anootha waqaya hai...har gharme aisa nahi hota..mai khud gruhini hun..mera 100 pratishat gharme dhyan rahta hai!
ReplyDeleteYe apneapme ek akela qissa hoga..mai nahi manti ki,har gharme aisahi hota hoga!
ReplyDeleteBlogjagat me swagat hai!
बहुत ही घृणास्पद है यह घटना । आपका चिंतन उचित है । ब्लाग जगत में स्वागत है ।
ReplyDeleteयह घटना काफी घृणित है। हालांकि हर नौकरानी ऐसा नहीं होती है। ऐसे तो विरले लोग ही होते है। ब्लॉग जगत में आपका स्वागत। कभी हमारे ब्लॉग पर भी आएं।
ReplyDeleteमोहनलाल जी
ReplyDeleteस्वागत है .लेख में चिंताएँ वाजिब उठाई हैं आपने .चीज़ों को देखने का नज़रिया बदलते ही हालत बदल सकते हैं .पर आपा धापी भरे इस समय में बाजार और चीज़ों के लिए तो वक्त है पर खुद के भीतर झाँकने का समय किसके पास है .
अफसोसनाक घटना ,बदलते वक्त में परिवार में किसी के पास समय नही है ???
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
uf!narayan narayan
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने, हम अपना अकांउट देखकर नौकर नौकरानी तो रखवा लेते है लेकिन वो क्या क्या गुल खिला रहे है येनही देखते है, आजकल गरीब आदमी गरीब न होकर कमीना होने लगा है
ReplyDeleteचिन्तनयुक्त रचना-बधाई !
ReplyDeleteवस्तुत: यह बर्बादी की तरफ धकेले जाते समाज का चेहरा है न कि आधुनिक समाज का।..
ReplyDeleteआपको पहली बार पढ़ा अच्छा लगा ..आपका चिंतन सही है