पाकिस्तानी दूतावास में द्वितीय सचिव स्तर की महिला राजनयिक को गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान के हाथों बेचने के आरोप में पकड़ा गया। भारतीय एजेंसियों के अनुसार यह तिरेपन वर्षीय महिला राजनयिक, भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ के इस्लामाबाद प्रमुख से महत्वपूर्ण सूचनायें प्राप्त करती थी तथा उन्हें पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आई एस आई को बेचती थी। कुछ और अधिकारी भी इस काण्ड में संदेह के घेरे में हैं! इस समाचार को पढ़कर विश्वास नहीं होता! सारे जहां से अच्छा! मेरा भारत महान! इण्डिया शाइनिंग! हम होंगे कामयाब! माँ तुझे सलाम! इट हैपन्स ओन्ली इन इण्डिया! जैसे गीतों और नारों को गाते हुए कभी न थकने वाले भारतीय लोग, क्रिकेट के मैदानों में मुंह पर तिरंगा पोत कर बैठने वाले भारतीय लोग और सानिया मिर्जा को कंधों पर बैठा कर चक दे इण्डिया गाने वाले भारतीय लोग क्या अपने देश को इस तरह शत्रुओं के हाथों बेचेंगे! संभवत: ये गीत और नारे अपने आप को धोखा देने के लिये गाये और बोले जाते हैं!
आखिर इंसान के नीचे गिरने की कोई तो सीमा होती होगी! पाकिस्तान के लिये गुप्त सूचनायें बेचने और शत्रु के लिये गुप्तचरी करने वाले इन भारतीयों के मन में क्या एक बार भी यह विचार नहीं आया कि जब उनकी सूचनाओं के सहारे पाकिस्तान के आतंकवादी या सैनिक भारत की सीमाओं पर अथवा भारत के भीतर घुसकर हिंसा का ताण्डव करेंगे तब उनके अपने सगे सहोदरे भी मौत के मुख में जा पड़ेंगे! रक्त के सम्बन्धों से बंधे वे माता–पिता, भाई–बहिन, बेटे–बेटी और पोते–पोती भी उन रेलगाडि़यों में यात्रा करते समय या बाजार में सामान खरीदते समय या स्कूलों में पढ़ते समय अचानक ही मांस के लोथड़ों में बदल जायेंगे, जिनके लिये ये भारतीय राजनयिक और गुप्तचर अधिकारी पैसे लेकर सूचनायें बेच रहे थे!
कौन नहीं जानता कि हमारी सीमाओं पर सबकुछ ठीक–ठाक नहीं चल रहा! पाकिस्तान की सेना और गुप्तचर एजेंसियों ने सीमा पर लगी तारबंदी को एक तरह से निष्फल कर दिया है। तभी तो सितम्बर 2009 में पाकिस्तान की ओर से राजस्थान की सीमा में भेजी गई बारूद और हथियारों की दो बड़ी खेप पकड़ी जा चुकी हैं जिनमें 15 किलो आर डी एक्स, 4 टाइमर डिवाइस, 8 डिटोनेटर, 12 विदेशी पिस्तौलें तथा 1044 कारतूस बरामद किये गये। इस अवधि में जैसलमेर और बाड़मेर से कम से कम एक क्विंटल हेरोइन बरामद की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पार से लाये जा रहे हथियार और गोला बारूद का बहुत बड़ा हिस्सा देश के विभिन्न भागों में पहुंचता है। पिछले कुछ सालों में दिल्ली, बंगलौर, पूना, जयपुर और बम्बई सहित कई नगर इस गोला बारूद के दंश झेल चुके हैं। हाल ही में बंगलौर में क्रिकेट के मैदान में आरडीएक्स की भारी मात्रा पहुंच गई और वहां दो बम विस्फोट भी हुए। क्यों भारतीय सपूत अपने देश की सरहदों की निगहबानी नहीं कर पा रहे हैं ? जिस समय मुम्बई में कसाब अपने आतंकवादी साथियों के साथ भारत की सीमा में घुसा और ताज होटल में घुसकर पाकिस्तानी आतंकियों ने जो भीषण रक्तपात किया उस समय भी हमारे देश की सीमाओं पर देश के नौजवान सिपाही तैनात थे फिर भी कसाब और उसके साथी अपने गंदे निश्चयों को कार्य रूप देने में सफल रहे!
सीमा की चौकसी की असफलता हमारे बहादुर सिपाहियों की मौत के रूप में हमारे सामने आती है। अभी कुछ दिनों पहले एक आंकड़ा समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था जिसमें कहा गया था कि राजस्थान ने कारगिल के युद्ध में 67 जवान खोये किंतु कारगिल का युद्ध समाप्त होने के बाद राजस्थान के 410 सपूतों ने भारत की सीमाओं पर प्राण गंवाये। इन आंकड़ों को देखकर मस्तिष्क में बार–बार उठते हैं– कहाँ गये वो लोग जिनकी आँखें इस मुल्क की सरहद की निगहबान हुआ करती थीं! कहाँ गये वे लोग जिन्होंने ये गीत लिखा था– उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें!
Thursday, April 29, 2010
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चिंतनीय मामला है.
ReplyDeleteइन आम जनता की आजादी को छीनकर, ये बेशर्म नेता लोग अपनी अय्यासी में लगे हुए हैं / इन सभी की छः महीने में एक बार नार्को,ब्रेन्मेपिंग और लाई डिटेक्टर टेस्ट करना इसलिए जरूरी बना दिया जाना चाहिए,जिससे इनके अन्दर जमीर जिन्दा है या ये पूरी तरह देश के गद्दार हैं ,इस बात का सही-सही पता लगाया जा सके / जब तक ऐसा नहीं होता ये देश गद्दारों के हाथ में ही रहेगा /
ReplyDeleteअच्छी वैचारिक उम्दा विश्लेष्णात्मक और खोजी जानकारी आधारित रचना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद /आशा है आप इसी तरह ब्लॉग की सार्थकता को बढ़ाने का काम आगे भी ,अपनी अच्छी सोच के साथ करते रहेंगे / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /
आप ने अच्छी बात कही है। मैं स्वीकार करता हूँ कि कुछ लोगों ने इस देश के आम आदमी के साथ धोखा किया है। उनका ब्रेनमैपिंग होना चाहिये किंतु क्या हम यह स्वीकार करने के लिये तैयार हैं कि पूरा देश ही अपनी सनातन चिंतन रेखा, जीवन शैली और चिरंतन पद्धति से दूर हट गया है। जन–जीवन में लोभ, लालच, महत्वाकांक्षा और लूट–खसोट की प्रवृत्ति बढ़ी है। हम संसार के अनुशासनहीनतम लोगों की कतार में आ बैठे हैं। किस–किस को दोष देंगे। वस्तुत: यह देश विकास के नाम पर अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्रों का शिकार हुआ है। हम आतंक का दंश झेल रहे हैं। नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैं। धर्मांतरण का दंश झेल रहे हैं। स्थितियां इतनी भयावह हो गई हैं कि हर स्थान पर ऊपर वाले पर नीचे वाले का शासन हो गया है। जो लोग देश में अनुशासन ला सकते हैं, उन्हें काननों की बेडि़यों में जकड़ दिया गया है। जो लोग देश को सदाचार दे सकते हैं, उनके मुकाबले कदाचारी लोग अधिक शक्तिशाली हो गये हैं। प्रतिभाओं का दमन किया जा रहा है। हर स्थान पर आदमी का चयन कोटे से होता है। यह कोटा देश को खा जायेगा। प्रतिभायें कंंुद हो जायेंगी। राष्ट्रभक्तों को मुंह छिपाकर जीना पड़ेगा। पहचान सकते हैं तो पहचानिये अभी समय है। देश के आम आदमी को चालाकियां सिखाना बंद कीजिये। लोगों के दिलों में सरलता हो, उनके मन पवित्र हों, वे अपने देश से प्रेम करें। सुख–सम्पत्ति की छीना झपटी बंद हो। परिश्रम आधारित समाज की रचना हो। इसके लिये कोई एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकेगा। सबको सोचना होगा। पता नहीं कब हमारा पैसे और पूंजी से मोह भंग होगा। कब हम मानव जीवन के सही उद्देश्यों को समझ सकेंगे। आप ने मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा हौंसला बढ़ाया, आभारी हूँ। आप लोग जो काम कर रहे हैं, और जिस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, बढ़ते रहें। सदविचारों के छोटे–छोटे बीज ही एक दिन विशाल वृक्ष का रूप धारण कर लेंगे। एक बार पुन: आभार। – डॉ. मोहनलाल गुप्ता
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