Blogvani.com

Thursday, May 27, 2010

हैलो सर ! मैं ढगला राम बोल रहा हूँ !

मोबाइल की घण्टी बजती है। साहब गहरी नींद में हैं। बड़ी मुश्किल से आज नींद लेने का समय मिला है। पिछली दो रातों से जिले भर के गांवों के दौरे पर थे। दिन–दिन भर चलने वाली बैठकें, जन समस्याएं, ढेरों शिकायती पत्र, लम्बे चौड़े विचार–विमर्श और फिर रात में बैठकर सैंकड़ों रिपोर्टें पढ़कर उन पर टिप्पणियां करते–करते हालत पतली हो जाती है। रात को भी देर से ही बिस्तर पर आ पाते हैं। उस पर ये मोबाइल की घण्टी। वे मन में झुंझलाते हैं किंतु हैलो बोलते समय पूरी तरह शांत रहते हैं।
हैलो सर ! मैं ढगला राम बोल रहा हूँ ! दूसरे छोर से आवाज आती है।
कहाँ से ? साहब की नींद अब तक काफी उड़ चुकी है।
सर, मैं सरपंच पति हूँ।
जी बताइये, क्या सेवा कर सकता हूँ ? मन की खीझ को छिपाकर साहब जवाब देते हैं।
हमारे गांव में तीन दिन से पानी नहीं आ रहा और अभी बिजली भी नहीं आ रही।
अच्छा ! आपने अपने क्षेत्र के बिजली और पानी विभागों के जेइएन्स से बात की क्या?
नहीं की।
क्यों?
उनसे बात करने का कोई फायदा नहीं है, पानी वाले जेईएन कहेंगे कि पाइप लाइन फूटी हुई है प्रस्ताव एसई आॅफिस भेज रखा है और बिजली वाले कहेंगे कि पीछे से गई हुई है।
तो अपने क्षेत्र के सहायक अभियंताओं से बात करें।
उनसे भी बात करने का कोई फायदा नहीं है।
क्यों?
वो कहेंगे कि जेइन से बात करो।
तो आप अपने क्षेत्र के अधिशासी अभियंता या अधीक्षण अभियंता से बात करते। जलदाय विभाग और बिजली विभाग के किसी भी अफसर से बात करते। आपने सीधे ही मुझे फोन लगा दिया।
सर मैंने सोचा कि आप जिले के मालिक हैं। सारे विभाग आपके नीचे हैं, इसलिये आपसे ही कह देता हूँ, अब जिसको कहना हो, आप ही कहिये। हमारे यहां तो अभी बिजली चालू होनी चाहिये और कल सुबह पानी आना चाहिये। यदि आप सुनवाई नहीं करते हैं तो मैं मंत्रीजी को फोन लगाता हूँ।
इतनी रात में! कितने बजे हैं अभी?
रात के दो बज रहे हैं।
लोगों को सोने तो दो, दिन निकल जाये तब बात करना।
आप लोग तो वहां एसी में आराम से सो रहे हैं, आपको मालूम है हम कितनी तकलीफ में हैं। कल सुबह पानी आ जायेगा या मैं मंत्रीजी को फोन लगाऊँ ?
अरे यार...... अच्छा सुबह बात करना, सुबह ही कुछ हो सकेगा।
सुबह–वुबह कुछ नहीं। आप जवाब हाँ या ना में दीजिये।
साहब झुंझलाकर फोन काट देते हैं, उनकी इच्छा होती है कि फोन को स्विच आॅफ करके सो जायें किंतु कर नहीं पाते, कौन जाने कबएमरजेंसी कॉल आ जाये। वे फिर से सोने का प्रयास करते हैं किंतु सो नहीं पाते। वैसे भी ब्लड प्रेशर और शुगर के पेशेंट हैं। काफी देर करवटें बदलने के बाद मोबाइल में टाइम देखते हैं। चार बजने वाले हैं। वे उठकर मार्निंगवाक के लिये तैयार होते हैं। अभी वे पैण्ट पहनते ही हैं कि मोबाइल फिर से बजता है।
सर! मैं कोजाराम बोलता हूँ। हमारे यहाँ ........।
साहब मोबाइल हाथ में लेकर घर से बाहर निकल लेते हैं। जब से मोबाइल फोन आया है, साहब की रात इसी तरह कटती है।

3 comments:

  1. हा हा हा....बहुत सही कहा....मोबाइल के आने से अब रात ऐसे ही कटती है....

    ReplyDelete
  2. sahi kaha sir ye mobile fone bhi beemari hai...

    ReplyDelete
  3. मोबाईल न हुआ, आफत की पुड़िया हो गई है.

    ReplyDelete