भारत के लोग वारेन हेस्टिंग्स और वारेन एण्डरसन, दोनों नामों से भली भांति (अथवा बुरी भांति!) परिचित हैं। वारेन हेस्टिंग्स भारत का पहला गवर्नर जनरल (ई.1772 से 1785) बना। ईस्ट इण्डिया कम्पनी को भारत सरकार में बदलने का पूरा श्रेय (अथवा कलंक!) वारेन हेस्टिंग्स को जाता है। उसने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दो चेहरे दिये। पहला चेहरा पिट्स इण्डिया एक्ट के रूप में था जिसमें कहा गया था कि ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारत के किसी भी देशी राज्य को बलपूर्वक अपने क्षेत्र में नहीं मिलायेगी। इस चेहरे के नीचे दूसरा चेहरा छिपा था जो भारतीय क्षेत्राें पर छल–कपट से नियंत्रण करने और देशी राजाओं, नवाबों और बेगमों को पैरों तले रौंदकर अपने अधीन बनाने का काम करता था।
वारेन हेस्टिंग्स की पूरी कहानी टिपीकल है। वह गरीब बाप का बेटा था। बचपन आवारागर्दी में गुजारा और बड़ा होकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी में बाबू बन गया। कम्पनी में घूसखोरी, भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता, दलाली तथा निजी व्यापार का बोलबाला था। अंग्रेज अधिकारी भारत से अथाह धन लूट कर इंगलैण्ड लौटते थे। पूरे यूरोप में निर्धन थॉमस पिट (ई. 1643–1726) का उदाहरण दिया जाता था जिसने भारत से इतना धन बटोरा था कि वह इंग्लैण्ड के उल्लेखनीय अरबपतियों में गिना जाने लगा था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी में बकायदा दलाल नियुक्त होते थे जो भारतीय राजाओं और नवाबों से सम्पर्क रखते थे और उन्हें महंगे उपहार, विदेशी शराब तथा गोरी वेश्याएं उपलब्ध करवाकर कम्पनी के व्यापारिक हित साधते थे। मौका मिलते ही अंग्रेज अधिकारी दोनों हाथों से पैसा बटोरते थे। वे खुल्लमखुल्ला रिश्वत, कमीशन, भेंट, उपहार, ग्रेटीट्यूड तथा टिप लेते और देते थे। वारेन हेसि्ंटग्स भी धन की इस लूट में शामिल हो गया और तरक्की करता हुआ कम्पनी का गवर्नर जनरल बन गया। उसका खजाना हीरों के हार और अंगूठियों, सोने चांदी के बरतनों तथा शेर–चीतों की खालों से भर गया। जब वह अपने देश वापस लौटा तो उस पर भ्रष्टाचार का मुकदमा चला। हेस्टिंग्स ने स्वयं को गोली मारी किंतु बच गया। मुकदमे में भी वह बरी कर दिया गया।
वारेन हेस्टिंग्ज की कहानी यहां पूरी हो जाती है किंतु वारेन एण्डरसन की कहानी उसके पूरे दो सौ साल बाद आरंभ होती है। वारेन हेस्टिंग्स अंग्रेज था जबकि वारेन एण्डरसन अमरीकी है, किंतु है उसी यूरोपीयन प्रजाति का वंशज। वारेन हेस्टिंग्स की ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत पर गुलामी लादी और भारत का रक्त चूसा जबकि वारेन एण्डरसन की यूनियन कार्बाइड कम्पनी ने विषैली गैस लीक करके 15 हजार लोगों को मौत की नींद सुलाया तथा 5 लाख लोगों को अपाहिज बना दिया। वारेन हेस्टिंग्स ने भारत से लूटे गये धन का हिसाब बताने से मना कर दिया और वारेन एण्डरसन ने यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस का नाम बताने से मना किया। वारेन हेस्टिंग्स को भारत से लौटने के बाद अपने ही देशवासियों के मुकदमे का सामना करना पड़ा जबकि वारेन एण्डरसन अपने निजी चार्टर्ड प्लेन में बैठकर 25 साल से पूरी दुनिया में ऐश करता घूम रहा है। यही अंतर है वारेन हेस्टिंग्स और वारेन एण्डरसन की कहानी में।
Tuesday, June 8, 2010
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CHITRKOOT KA CHATAK
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सही लिखा.
ReplyDeleteकांग्रेस का रोल क्या रहा है, इस पर भी कुछ प्रकाश डालें..
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