कल जब सवा सौ करोड़ भारतीयों की आंखें और कान, दिलों की धड़कनें और सांसें भारतीय संसद में महंगाई पर हो रही बहस पर, वित्तमंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा दिये जा रहे प्रत्युत्तर पर अटकी हुई थीं, तब संसद में एक मोबाइल फोन की घण्टी बजी, पूरी संसद का ध्यान बंटा और वित्तमंत्री झल्लाये– नहीं, नहीं, अभी नहीं, मैं मीटिंग में हूँ और मोबाइल फोन कट गया। पूरा देश हैरान था कि ऐसे व्यस्ततम समय में वित्तमंत्रीजी के पास किसका फोन आया और वे किस बात पर झल्लाये ? जब पत्रकारों ने पूछा तो वित्तमंत्री ने बताया कि कोई मुझे होमलोन देना चाहता था। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास ऐसे फोन दिन में चार–पांच आते हैं। देश की हैरानी का पार नहीं है।
समाचार पत्रों में यह भी छपा कि कुछ दिन पहले देश के सबसे अमीर आदमी मुकेश अम्बानी के पास भी किसी ने फोन करके उन्हें प्रस्ताव दिया था कि वे आकर्षक ब्याज दरों पर बिना कोई परेशानी उठाये, होम लोन ले लेें।पाठकों को बताने की आवश्यकता नहीं है कि मुकेश अम्बानी अपनी पत्नी को उनके आगामी जन्मदिन पर, देश में बन रहा सबसे बड़ा घर उपहार में देने वाले हैं। ऐसे घर या तो महेन्द्र धोनी जैसे क्रिकेटर बनाते हैं या अमिताभ बच्चन जैसे सिनेमाई अभिनेता या फिर मुकेश अम्बानी जैसे अरब पति व्यवसायी। पिछले जन्म दिन पर उन्होंने अपनी पत्नी को एक बहुत बड़ा हवाई जहाज उपहार में दिया था जिसके भीतर भी एक पूरा घर, दफ्तर, किचन, लाइब्रेरी आदि बने हुए थे।
जिस देश के वित्तमंत्री तथा सबसे धनी व्यक्ति को भी दिन में चार पांच बार ऐसे मोबाइल फोनों से जूझना पड़ता हो तो मोबाइल फोनों द्वारा आम नागरिकों के जीवन में बरपाये जा रहे कहर का अनुमान लगाया जा सकता है। घरों में वृद्ध लोग जब दुपहरी में आराम कर रहे होते हैं तो ऐसे ही कोई फोन चला आता है जैसे कोई बेपरवाह भैंस किसी के हरे–भरे खेत में सुखचैन की हरी फसल चरने आ घुसी हो। आप रेलगाड़ी में चढ़ने के लिये हाथों में सामान और बच्चे उठाये हुए डिब्बे के हैण्डिल को पकड़ते हैं और मोबाइल बज उठता है– आप यह गाना डाउनलोड क्यों नहीं कर लेते मासिक शुल्क केवल तीस रुपये महीना! आप चिकित्सालय में भर्ती हैं, एक हाथ में ग्लूकोज की बोतल चढ़ रही है और आपके पलंग पर रखा हुआ मोबाईल बजता है– आप हमारी कम्पनी से इंश्योरेंस क्यों नहीं करवा लेते, हम आपको ईनाम भी देंगे! आप मंदिर में भगवान को जल अर्पित कर रहे होते हैं और फोन बजने लगता है– आप मनपसंद लड़कियों को दोस्त क्यों नहीं बना लेते ! उम्र उन्नीस साल! मन करता है सिर पीट लें, अपना भी और फोन करने वाले का भी।
कई बार लगता है कि ये लोग अपना सामान, ठेलों पर रखकर गली–गली घूम कर क्यों नहीं बेचते, ठीक वैसे ही जैसे सब्जी और रद्दी वाले घूमा करते हैं! कभी–कभी मुझे तरस आता है उन लड़के–लड़कियों पर जो प्रतिदिन ऐसे फोन करते हैं और लोगों की डांट खा–खाकर प्रताडि़त होते हैं। क्या उन्हें स्वयं पर तथा दूसरों पर तरस नहीं आता कि जब उनके द्वारा किये गये मोबाइल फोन की अवांछित घण्टी बजेगी, उस समय कोई सड़क पर मोटर साइकिल चलाता हुआ दुर्घटना का शिकार हो जायेगा या किसी वृद्ध व्यक्ति की नींद खराब होगी और कोई रोगी परेशान होकर उनपर गालियों की बौछार कर बैठेगा !
Thursday, August 5, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

CHITRKOOT KA CHATAK
![Validate my Atom 1.0 feed [Valid Atom 1.0]](valid-atom.png)
No comments:
Post a Comment